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जनमानस की सुरक्षा सर्वोपरि: सेफ्टी ऑडिट के बाद ही शुरू हुआ देहरादून-मसूरी आवागमन

अतिवृष्टि से क्षतिग्रस्त पुल की जगह 48 घंटे में तैयार हुआ वैली ब्रिज, सीएम धामी के निर्देश पर डीएम ने सुरक्षा प्रमाणन मिलने के बाद ही दी अनुमति

देहरादून/मसूरी, 18 सितंबर 2025: उत्तराखंड में पिछले दिनों हुई लगातार अतिवृष्टि ने पर्वतीय जिलों की जीवन रेखा कही जाने वाली सड़कों को खासा नुकसान पहुंचाया। राजधानी देहरादून और मसूरी के बीच का संपर्क मार्ग भी 16 सितंबर की रात अचानक बंद हो गया, जब कोठालगेट के पास बना पुराना पुल तेज बहाव में क्षतिग्रस्त हो गया। इससे मसूरी और आसपास के क्षेत्रों का संपर्क पूरी तरह कट गया

हालांकि प्रशासन ने युद्धस्तर पर काम करते हुए महज दो दिनों में अस्थायी वैली ब्रिज तैयार कर दिया। लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के स्पष्ट निर्देश थे कि जनता की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। लिहाज़ा, ट्रैफिक शुरू करने से पहले पूरे मार्ग और नव-निर्मित वैली ब्रिज का सेफ्टी ऑडिट कराया गया।


DM ने गठित की संयुक्त ऑडिट कमेटी

देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एसडीएम मसूरी की अध्यक्षता में एक संयुक्त टीम बनाई। इसमें एआरटीओ, क्षेत्रीय पुलिस अधिकारी और लोनिवि (लोक निर्माण विभाग) के अधीक्षण अभियंता शामिल किए गए। इस टीम को जिम्मा दिया गया कि मसूरी रोड के सभी क्रोनिक जोन (संवेदनशील क्षेत्र) और वैली ब्रिज का बारीकी से निरीक्षण कर सुरक्षा रिपोर्ट सौंपी जाए।

जिलाधिकारी ने साफ कहा कि बिना सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट के ट्रैफिक शुरू नहीं किया जाएगा।


13 मरीजों को तत्काल सुरक्षित निकाला गया

संपर्क मार्ग बंद होने से मसूरी और आसपास के ग्रामीण इलाकों के लोग सबसे ज्यादा परेशान हुए। खासतौर पर जिनको तत्काल मेडिकल सुविधा की जरूरत थी, उनके सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई।

इस स्थिति को देखते हुए जिलाधिकारी सविन बंसल के निर्देश पर प्रशासन ने ट्रांसशिपमेंट व्यवस्था बनाई। मसूरी से इमरजेंसी मरीजों को छोटे वाहनों में वैली ब्रिज तक लाया गया और वहां से एंबुलेंस के जरिए देहरादून शिफ्ट किया गया।

कुल 13 मरीजों को सुरक्षित देहरादून पहुंचाया गया। इनमें 9 डायलिसिस मरीज, 1 हार्ट अटैक पीड़ित, 1 हेड इंजरी केस, 1 मेटाकार्पल बोन फ्रैक्चर और 1 साल का बच्चा, जो ARDS (Acute Respiratory Distress Syndrome) से जूझ रहा था, शामिल थे।


सुरक्षा रिपोर्ट मिलने के बाद ही दी अनुमति

गुरुवार को संयुक्त टीम ने अपना निरीक्षण पूरा किया और पाया कि नव-निर्मित वैली ब्रिज सुरक्षित है और मार्ग पर फिलहाल यातायात बहाल किया जा सकता है। रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) देहरादून ने देहरादून-मसूरी मार्ग पर ट्रैफिक शुरू करने की अनुमति दी।

इसके बाद से मसूरी रोड पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से सुचारू हो गई है।


युद्धस्तर पर तैयार हुआ वैली ब्रिज

जानकारी के मुताबिक, 16 सितंबर की रात पुल क्षतिग्रस्त होने के बाद एसडीएम मसूरी और लोक निर्माण विभाग की टीम मौके पर पहुंची। तत्काल वैकल्पिक मार्ग की खोज और अस्थायी पुल निर्माण की योजना पर काम शुरू हुआ।

मुख्यमंत्री धामी ने खुद अधिकारियों को आदेश दिए कि दो दिन के भीतर संपर्क मार्ग बहाल किया जाए। लगातार प्रयासों के बाद बुधवार रात को ही वैली ब्रिज का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया।


मुख्यमंत्री धामी का संदेश

मुख्यमंत्री ने इस पूरे घटनाक्रम पर कहा,
“जनमानस की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। हमने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि जब तक सेफ्टी ऑडिट नहीं हो जाता, तब तक ट्रैफिक को अनुमति न दी जाए। मसूरी जैसे संवेदनशील क्षेत्र में हर कदम सतर्कता से उठाना बेहद जरूरी है।”


स्थानीय लोगों को मिली बड़ी राहत

संपर्क मार्ग खुलने के बाद मसूरी के स्थानीय लोगों ने प्रशासन और सरकार का आभार जताया। उनका कहना था कि पिछले दो दिन उनके लिए बेहद कठिन रहे, खासकर उन परिवारों के लिए जिनमें बुजुर्ग और मरीज थे।

स्थानीय व्यापारियों ने भी राहत की सांस ली है, क्योंकि पर्यटक आवाजाही बंद होने से बाजार पूरी तरह ठप हो गया था। अब उम्मीद है कि ट्रैफिक सुचारू होने से कारोबार दोबारा पटरी पर लौटेगा।

देहरादून-मसूरी रोड उत्तराखंड की सबसे व्यस्त और महत्वपूर्ण सड़क है। अतिवृष्टि से पुल क्षतिग्रस्त होना बड़ी चुनौती थी, लेकिन प्रशासन ने तेज़ी और जिम्मेदारी दिखाते हुए महज 48 घंटे में समाधान निकाला। मुख्यमंत्री धामी की सख्ती और जिलाधिकारी सविन बंसल के नेतृत्व में हुए सेफ्टी ऑडिट ने यह सुनिश्चित किया कि जनमानस की सुरक्षा से समझौता न हो।

अब ट्रैफिक सामान्य हो चुका है, मगर विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में स्थायी समाधान और दीर्घकालिक योजनाओं पर काम करना बेहद जरूरी है।

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