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ओल्ड मनाली में सैलाब का कहर: मनालसू नदी ने मचाई तबाही, पुल टूटा-सड़कें बहीं, सहमे स्थानीय लोग

भारी बारिश से नदी-नाले उफान पर, दो किमी तक सड़कें और दुकानें जलमग्न, प्रशासन ने तेज की राहत-बचाव कार्यवाही

मनाली : हिमाचल प्रदेश के पर्यटन नगरी मनाली में मॉनसून की बारिश ने भारी तबाही मचाई है। 25 अगस्त को आई बाढ़ ने ओल्ड मनाली का चेहरा बदलकर रख दिया। मनालसू नदी के उफान ने न्यू मनाली को ओल्ड मनाली से जोड़ने वाले लोहे के पुल को तोड़ डाला और एक पूरी सड़क को बहाकर जमीन में मिला दिया। स्थानीय लोगों के मुताबिक, महज कुछ घंटों में सैलाब ऐसा कहर बरपा गया कि दुकानों और मकानों को समेटने तक का मौका नहीं मिला।


अचानक बढ़ा पानी, मच गई चीख-पुकार

ओल्ड मनाली में टूर एंड ट्रैवल का काम करने वाले कमल ने बताया कि 25 अगस्त की सुबह तक नदी का बहाव सामान्य था, हालांकि 11 बजे के बाद पानी का स्तर तेजी से बढ़ने लगा। दोपहर तक हालात इतने बिगड़ गए कि करीब दो किलोमीटर लंबा इलाका पानी में बह गया। सड़क किनारे की दुकानें, छोटे होटल और मकान पलक झपकते ही नदी में समा गए।

स्थानीय लोगों ने बताया कि पानी का बहाव इतना तेज था कि लोग चीखते-चिल्लाते भागते रहे। कई वाहन बह गए, जबकि पुल के टूटने से न्यू मनाली और ओल्ड मनाली का संपर्क पूरी तरह कट गया।


तबाही की तस्वीरें बनीं डर की गवाही

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों और वीडियो में देखा जा सकता है कि किस तरह नदी का तेज बहाव लोहे के पुल को जमीन पर गिरा लाया और आसपास की दुकानों को मिटा डाला। सड़क किनारे लगे पेड़, बिजली के खंभे और बुनियादी ढांचा तक ढह गया। पर्यटकों से गुलजार रहने वाला ओल्ड मनाली आज खंडहर में तब्दील दिखाई दे रहा है।


दर्जनों दुकान-मकान जमींदोज, आजीविका पर संकट

स्थानीय प्रशासन के शुरुआती आकलन के अनुसार, दर्जनों दुकानें और कई पक्के मकान पूरी तरह जमींदोज हो गए हैं। पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था पर निर्भर लोगों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। छोटे होटल मालिक और टूर ऑपरेटर अपने-अपने नुकसान का अंदाजा लगाने में जुटे हैं।


प्रशासन और एनडीआरएफ की टीम सक्रिय

बाढ़ की जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचीं। राहत-बचाव अभियान चलाया गया और प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया। पुल के टूटने और सड़क बह जाने के कारण राहत कार्यों में दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन प्रशासन ने अस्थायी मार्ग तैयार करने की कवायद शुरू कर दी है।

मनाली के एसडीएम ने बताया कि हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है। प्रभावित लोगों को अस्थायी आश्रय स्थलों पर रखा गया है और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।


पर्यटन पर गहरा असर, सहमे स्थानीय लोग

मनाली देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए स्वर्ग माना जाता है, लेकिन इस सैलाब ने स्थानीय पर्यटन कारोबार पर गहरा असर डाला है। पुल टूटने और सड़क बह जाने से ओल्ड मनाली का संपर्क टूट गया है। दुकानदारों और होटल व्यवसायियों का कहना है कि इस नुकसान की भरपाई में वर्षों लग सकते हैं।

स्थानीय लोगों का दर्द भी कम नहीं है। कई परिवार बेघर हो गए हैं, तो कई अपने जीवनभर की पूंजी पानी में बहते देख असहाय खड़े हैं।


सबक और चेतावनी

विशेषज्ञों का कहना है कि मनाली जैसी पहाड़ी जगहों पर अंधाधुंध निर्माण और अनियोजित विकास इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं को और विकराल बना देता है। नदी-नालों के किनारे बेतरतीब ढंग से बने होटल और दुकानें आपदा का सबसे पहला शिकार होती हैं।

लोगों का मानना है कि मेजर ध्यानचंद जैसे महान खिलाड़ियों की तरह पर्वतीय राज्य को भी अनुशासन और संतुलन की ज़रूरत है। अगर विकास और पर्यावरण का संतुलन साधा जाए तो इस तरह की तबाहियों को काफी हद तक रोका जा सकता है।

ओल्ड मनाली का यह सैलाब केवल प्राकृतिक आपदा की त्रासदी नहीं है, बल्कि यह चेतावनी भी है कि हिमालयी क्षेत्रों में विकास को लेकर सावधानी बरतनी होगी। बेशक राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन सैलाब से हुई तबाही की यादें लंबे समय तक स्थानीय लोगों और पर्यटकों को भयभीत करती रहेंगी।

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