
देहरादून, 29 अगस्त (सू. ब्यूरो): उत्तराखंड में लगातार हो रही अतिवृष्टि ने राज्य के कई जनपदों में हालात बिगाड़ दिए हैं। शुक्रवार को मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने राज्य आपदा कंट्रोल रूम पहुंचकर स्थिति की विस्तृत समीक्षा की और संबंधित जिलाधिकारियों से क्षेत्रवार जानकारी ली। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि किसी भी आपदा स्थिति में राहत व बचाव कार्य में देरी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
संवेदनशील क्षेत्रों में पूर्व-प्रबंध अनिवार्य
मुख्य सचिव ने कहा कि मौसम विभाग द्वारा जारी चेतावनियों और पूर्वानुमानों को बेहद गंभीरता से लिया जाए। उन्होंने जोर दिया कि भारी वर्षा और भूस्खलन की संभावनाओं को देखते हुए संवेदनशील इलाकों में पहले से ही आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं। उन्होंने जिलाधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि प्रभावित परिवारों को निर्धारित मानकों के अनुसार शीघ्र मुआवजा उपलब्ध कराया जाए और आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सभी जरूरी संसाधन तुरंत पहुंचाए जाएं।
मूलभूत सेवाओं को प्राथमिकता
बैठक में मुख्य सचिव ने साफ कहा कि सड़क, पेयजल और बिजली जैसी सेवाओं के बाधित होने की स्थिति में इन्हें तत्काल सुचारू किया जाए। उन्होंने सभी विभागों को आपसी समन्वय बनाकर राहत सामग्री समय पर प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचाने के निर्देश दिए। साथ ही राज्य और जिला स्तर पर आपदा नियंत्रण कक्षों को चौबीसों घंटे अलर्ट मोड पर रहने के आदेश दिए गए।
जनता को समय पर सूचना देना होगा सुनिश्चित
मुख्य सचिव ने जनसामान्य को समय पर सूचनाएं उपलब्ध कराने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन केवल राहत तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि लोगों को समय रहते सचेत करना भी उतना ही जरूरी है। इसके लिए उन्होंने ’सचेत एप’ के प्रचार-प्रसार को व्यापक स्तर पर चलाने के निर्देश दिए, ताकि अधिक से अधिक लोग मौसम से जुड़ी अद्यतन जानकारी समय पर प्राप्त कर सकें।
बैठक में रहे कई वरिष्ठ अधिकारी
इस अवसर पर अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन डीआईजी राजकुमार नेगी, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहम्मद ओबैदुल्लाह अंसारी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। मुख्य सचिव ने सभी अधिकारियों से अपेक्षा जताई कि वे मैदानी स्तर पर सक्रियता और संवेदनशीलता के साथ काम करें, ताकि किसी भी आपात स्थिति में जनहानि को न्यूनतम किया जा सके।
लगातार बारिश और अतिवृष्टि से जूझ रहे उत्तराखंड में सरकार और प्रशासन अलर्ट मोड में आ गए हैं। मुख्य सचिव की समीक्षा बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले दिनों में आपदा प्रबंधन को और अधिक मजबूत और प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा। अब राज्य की चुनौती है कि आपदा की इस घड़ी में लोगों को राहत और सुरक्षा कितनी शीघ्रता से मुहैया कराई जा सके।