
नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला आगामी 68वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन (68th Commonwealth Parliamentary Conference) में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह सम्मेलन 5 से 12 अक्टूबर 2025 तक कैरेबियाई देश बारबाडोस की राजधानी ब्रिजटाउन में आयोजित होने जा रहा है। इस सम्मेलन में भारत की ओर से राज्यसभा के उपसभापति, 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारी एवं सचिव भी हिस्सा लेंगे।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सम्मेलन की आम सभा को ‘राष्ट्रमंडल : ग्लोबल पार्टनर’ विषय पर संबोधित करेंगे। उनका संबोधन वैश्विक साझेदारी, लोकतांत्रिक मूल्यों और बहुपक्षीय सहयोग पर केंद्रित होगा।
भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल करेगा सक्रिय भागीदारी
भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल (Indian Parliamentary Delegation) इस सम्मेलन के दौरान आयोजित सात अहम कार्यशालाओं में भाग लेगा। इन कार्यशालाओं में वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र की मजबूती, डिजिटलाइजेशन, पारदर्शिता, महिलाओं की भागीदारी और जलवायु संकट जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
कार्यशालाओं के प्रमुख विषय इस प्रकार हैं:
- लोकतंत्र के समर्थन के लिए संस्थाओं को सुदृढ़ करना
- डिजिटल परिवर्तन से लोकतंत्र का संवर्धन और डिजिटल डिवाइड का समाधान
- महिलाओं की भागीदारी एवं सुलभता को बढ़ावा देना
- जलवायु परिवर्तन और वैश्विक स्वास्थ्य : स्थायी समाधान की खोज
- लोकतंत्र में विश्वास और पारदर्शिता बढ़ाना : संसद और चुनावी वित्त की पारदर्शिता
- राष्ट्रीय संसद बनाम प्रांतीय एवं हस्तांतरित विधानमंडल : शक्तियों का संरक्षण
- सुशासन, बहुपक्षवाद और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में राष्ट्रमंडल की भूमिका
भारत की भूमिका होगी महत्वपूर्ण
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत इस सम्मेलन में लोकतांत्रिक ढांचे की मजबूती, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों पर एक सशक्त दृष्टिकोण रखेगा। भारत हाल के वर्षों में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को तकनीकी रूप से अधिक पारदर्शी और जनभागीदारी आधारित बनाने की दिशा में अग्रसर रहा है।
संसदीय कार्य विशेषज्ञों के अनुसार, इस सम्मेलन में भारत की भागीदारी न केवल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उसकी लोकतांत्रिक छवि को मजबूत करेगी, बल्कि राष्ट्रमंडल के भीतर सुशासन और पारदर्शिता के नए मानक स्थापित करने का अवसर भी प्रदान करेगी।
राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन : पृष्ठभूमि
राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन (Commonwealth Parliamentary Conference – CPC) की शुरुआत 1911 में हुई थी। यह सम्मेलन हर वर्ष राष्ट्रमंडल देशों के संसदाध्यक्षों, पीठासीन अधिकारियों और विधायी विशेषज्ञों के बीच विचार-विमर्श और अनुभव साझा करने का सबसे बड़ा मंच माना जाता है।
राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (Commonwealth Parliamentary Association – CPA) के अंतर्गत आने वाले इस सम्मेलन में 180 से अधिक संसदों और विधानसभाओं के प्रतिनिधि हिस्सा लेते हैं।
भारत की दूसरी बार मेजबानी की चर्चा
भारत भी इस सम्मेलन की मेजबानी कर चुका है और संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए लगातार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आया है। अब जबकि यह सम्मेलन कैरेबियाई द्वीप राष्ट्र बारबाडोस में हो रहा है, भारत की सक्रिय भागीदारी एक बार फिर उसकी वैश्विक संसदीय कूटनीति की सशक्त छवि को सामने रखेगी।
68वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की मौजूदगी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक अवसर है। यह सम्मेलन न केवल लोकतंत्र और सुशासन को मजबूत करने का मंच बनेगा, बल्कि वैश्विक मुद्दों पर भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को भी उजागर करेगा।



