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थराली आपदा: बादल फटने से तबाही, सीएम धामी ने जताया दुख – राहत एवं बचाव कार्य जारी

चमोली जिले में भारी नुकसान, एक की मौत, कई मकान-दुकान मलबे में दबे,  एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और प्रशासन की टीमें मौके पर, सीएम ने जनप्रतिनिधियों से ली स्थिति की जानकारी

देहरादून/चमोली: उत्तराखंड का पहाड़ी इलाका एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ गया। चमोली जनपद के थराली क्षेत्र में शुक्रवार देर रात बादल फटने से भारी तबाही मच गई। टूनरी गदेरे से आए मलबे ने थराली बाजार और आसपास के इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया। इस आपदा में एक युवती की मौत हो गई, जबकि एक अन्य व्यक्ति के लापता होने की सूचना है। कई मकान, दुकानें और वाहन मलबे में दब गए हैं।

सूचना मिलते ही प्रशासन और आपदा प्रबंधन की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुट गईं। मौके पर पहुंची डीडीआरएफ टीम ने रेस्क्यू शुरू कर दिया है, वहीं एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें भी प्रभावित क्षेत्र के लिए रवाना हो चुकी हैं। भारी बारिश के चलते कर्णप्रयाग-ग्वालदम राष्ट्रीय राजमार्ग कई जगहों पर क्षतिग्रस्त हो गया है, जिससे यातायात बाधित हो गया। सड़क को जल्द से जल्द सुचारू करने का काम प्राथमिकता से किया जा रहा है।


सीएम धामी का दुख और निर्देश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आपदा पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने मृतक युवती के परिवार के प्रति संवेदना जताते हुए लापता व्यक्ति की सुरक्षित वापसी की कामना की है। मुख्यमंत्री ने देर रात ही पुलिस, आपदा प्रबंधन विभाग और जिला प्रशासन को राहत एवं बचाव कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए।

सीएम धामी ने चमोली जिले के जनप्रतिनिधियों से फोन पर बातचीत कर हालात की जानकारी ली। उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों से अपील की कि वे जिला प्रशासन को राहत कार्यों में सहयोग करें। साथ ही स्थानीय विधायक को निर्देशित किया कि वे मौके पर रहकर स्थिति का भौतिक निरीक्षण करें और प्रभावित लोगों को हर संभव मदद उपलब्ध कराएं।


स्थानीय हालात: मलबे में डूबा बाजार

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, देर रात अचानक आए मलबे ने एसडीएम आवास, कई मकानों और दुकानों को नुकसान पहुंचाया। बाजार में खड़ी कई गाड़ियां भी मलबे में दब गईं। स्थानीय लोग प्रशासन की टीमों के साथ मिलकर राहत कार्य में जुटे हैं। प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।


पहाड़ों पर लगातार आपदाओं का खतरा

उत्तराखंड में मानसून के दौरान भूस्खलन और बादल फटने की घटनाएं आम होती जा रही हैं। बीते कुछ वर्षों में राज्य में कई बार ऐसी आपदाओं ने भारी जन-धन हानि की है। थराली में हुई यह घटना एक बार फिर पहाड़ों में बसी बस्तियों की नाजुक स्थिति को सामने लाती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित निर्माण कार्य पहाड़ी क्षेत्रों को और अधिक संवेदनशील बना रहे हैं।

थराली की इस आपदा ने एक ओर जहां लोगों के जीवन को प्रभावित किया है, वहीं सरकार और प्रशासन के सामने राहत एवं पुनर्वास की चुनौती खड़ी कर दी है। मुख्यमंत्री धामी ने त्वरित कार्रवाई के आदेश दिए हैं, लेकिन स्थानीय लोगों की मांग है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए स्थायी और ठोस रणनीति बनाई जाए।

फिलहाल, पूरे क्षेत्र में राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। प्रशासन की प्राथमिकता लापता लोगों को सुरक्षित खोज निकालना और प्रभावित परिवारों को राहत उपलब्ध कराना है।

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