
श्रीनगर/देहरादून, 2 अगस्त 2025। जम्मू-कश्मीर में जारी अमरनाथ यात्रा को इस वर्ष तय कार्यक्रम से पहले ही समाप्त कर दिया गया है। प्रशासन ने खराब मौसम, पथ-स्थिति और लगातार बाधित हो रही यात्रा को देखते हुए यह फैसला लिया है। हालांकि धार्मिक परंपरा के अनुसार, यात्रा का औपचारिक समापन 9 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा और रक्षाबंधन के दिन ‘छड़ी मुबारक’ की पवित्र गुफा में स्थापना के साथ संपन्न होगा।
लगातार बिगड़ती मौसम व्यवस्था बनी यात्रा बंदी की मुख्य वजह
कश्मीर के डिविजनल कमिश्नर विजय कुमार बिधूड़ी ने शनिवार को बताया कि हाल की भारी बारिश ने बालटाल और पहलगाम दोनों मार्गों की स्थिति को खराब कर दिया है। मरम्मत और ट्रैक क्लीयरेंस का काम लगातार जारी है, लेकिन सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 3 अगस्त से यात्रा स्थगित कर दी गई है। पिछले तीन दिनों से मौसम खराब होने के कारण यात्रा निलंबित थी और रविवार को भी इसे बहाल नहीं किया जा सका।
व्यापारिक समुदाय को भारी नुकसान, श्रद्धालुओं की संख्या उम्मीद से कम
श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अनुसार, इस वर्ष अब तक करीब 4.10 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा अमरनाथ के दर्शन किए हैं। हालांकि प्रशासन को 8 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों के आने की अपेक्षा थी। अचानक आई इस बाधा से राज्य के व्यापारियों को अनुमानित 3,000 से 4,000 करोड़ रुपये तक के नुकसान का सामना करना पड़ा है।
हिमलिंग का शीघ्र पिघलना बना चिंता का विषय
विशेषज्ञों का मानना है कि यात्रा के मध्य हिमलिंग का आकार घटने और समय से पहले पिघलने की घटनाएं, लगातार तीव्र होते जलवायु परिवर्तन का संकेत हैं। इस वर्ष जुलाई के पहले सप्ताह से ही हिमलिंग का आकार काफी हद तक क्षीण हो चुका था, जिससे श्रद्धालुओं की संख्या में कमी देखी गई।
इस स्थिति को देखते हुए अब प्रशासन यात्रा की कुल अवधि को 60 दिन से घटाकर 30 दिन करने के सुझावों पर विचार कर रहा है। पर्यावरणविद् और सामाजिक संगठनों ने भी संवेदनशील पारिस्थितिकी क्षेत्र में सीमित मानव हस्तक्षेप की वकालत की है।
सुरक्षा तंत्र और व्यवस्थागत असंतुलन पर उठे सवाल
सूत्रों के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों में प्रतिदिन केवल 200–300 श्रद्धालु ही यात्रा कर रहे थे, जबकि उनकी सुरक्षा के लिए लगभग दो लाख सुरक्षाकर्मी तैनात थे। यह व्यवस्थागत असंतुलन अब नीति-निर्माताओं के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है।
48 किलोमीटर लंबा नुनवान (पहलगाम) ट्रैक और 14 किलोमीटर लंबा बालटाल मार्ग यात्रा के दो पारंपरिक रास्ते हैं, जिनसे हर वर्ष लाखों श्रद्धालु बाबा अमरनाथ के दर्शन करते हैं।
प्राकृतिक संकेतों से भविष्य की दिशा तय करने की जरूरत
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हाल ही में बताया था कि अब तक 4 लाख से अधिक श्रद्धालु गुफा तक पहुंच चुके हैं। लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकारा कि बढ़ते तापमान और लगातार वर्षा के चलते हिमलिंग का स्वरूप शीघ्र पिघल गया है। यह प्रकृति की चेतावनी है, जिसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।
मुख्य बिंदु संक्षेप में:
- 3 अगस्त से यात्रा स्थगित, 9 अगस्त को परंपरागत समापन
- 4.10 लाख श्रद्धालु पहुंचे; लक्ष्य 8 लाख से अधिक
- व्यापार में 3000–4000 करोड़ रु. का अनुमानित नुकसान
- हिमलिंग जुलाई के पहले सप्ताह में ही काफी पिघल चुका था
- यात्रा अवधि को 60 दिन से घटाकर 30 दिन करने पर विचार
- सुरक्षा तंत्र में असंतुलन की स्थिति; 2 लाख जवानों की तैनाती
- पर्यावरण और धर्म के बीच संतुलन की आवश्यकता पर फिर बहस तेज
अमरनाथ यात्रा केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि प्राकृतिक संतुलन, पर्यावरणीय चेतना और प्रशासनिक विवेक का भी परीक्षण बन गई है। इस बार की परिस्थितियाँ भविष्य में नीति-निर्धारण के लिए कई गंभीर प्रश्न छोड़ गई हैं, जिनके उत्तर प्रशासन, समाज और श्रद्धालु—सभी को मिलकर तलाशने होंगे।