
भोपाल/मुंबई: मालेगांव ब्लास्ट केस में 17 साल बाद अदालत से क्लीन चिट मिलने के बाद भाजपा की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कांग्रेस और विपक्षी दलों पर करारा प्रहार किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए कांग्रेस पर “भगवा आतंकवाद” की थ्योरी गढ़ने का आरोप लगाते हुए लिखा –
“भगवा आतंकवाद और हिन्दू आतंकवाद के जन्मदाता कांग्रेस सहित सभी विधर्मियों का मुंह हुआ काला… भगवा, हिंदुत्व और सनातन की विजय पर समस्त सनातनियों को बधाई। जय हिन्दू राष्ट्र, जय श्री राम।”
यह पोस्ट साध्वी प्रज्ञा ने विशेष अदालत के फैसले के दो दिन बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर साझा किया, जो देखते ही देखते वायरल हो गया।
क्या था मालेगांव विस्फोट मामला?
2008 में महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव में हुए धमाके में 6 लोगों की मौत और दर्जनों घायल हुए थे। इस मामले में साध्वी प्रज्ञा समेत 7 लोगों पर UAPA समेत गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया था। लगभग 17 साल तक चली कानूनी लड़ाई के बाद, मुंबई की एनआईए कोर्ट ने सभी आरोपियों को “सबूतों के अभाव” में बरी कर दिया।
“13 दिन तक टॉर्चर, एक साध्वी को आतंकी बना दिया गया” – अदालत में रो पड़ीं साध्वी प्रज्ञा
कोर्ट में अंतिम सुनवाई के दौरान साध्वी प्रज्ञा ने भावुक होते हुए कहा था:
“मुझे 13 दिनों तक बेरहमी से टॉर्चर किया गया। मुझे केवल इसलिए आतंकवादी कहा गया क्योंकि मैं भगवा पहनती हूं। एक साध्वी को देश के सामने आतंकी बनाकर पेश किया गया। मैंने 17 साल तक संघर्ष किया, अपमान झेला, आज न्याय मिला है।”
कोर्टरूम में साध्वी की आंखें नम थीं, और चेहरे पर राहत और सुकून के भाव थे।
राजनीतिक हमले के साथ फिर उभरी “भगवा आतंकवाद” बहस
साध्वी प्रज्ञा का पोस्ट सामने आने के बाद राजनीतिक हलकों में एक बार फिर ‘भगवा आतंकवाद’ शब्द की वैधता को लेकर बहस शुरू हो गई है। भाजपा इसे कांग्रेस की “सोची-समझी साजिश” बता रही है, जबकि विपक्ष का कहना है कि जांच एजेंसियों पर दबाव डालकर केस को कमजोर किया गया।
बरी हुए आरोपी कौन-कौन?
- साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर
- लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित
- सुधाकर चतुर्वेदी
- अजय राहिरकर
- समीर कुलकर्णी
- सुधाकर द्विवेदी
- रमजी कालसांगर
आगे क्या?
इस फैसले के खिलाफ अगर कोई याचिका दायर की जाती है, तो मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी जा सकता है। वहीं साध्वी प्रज्ञा के बयान को लेकर कांग्रेस की प्रतिक्रिया का अब तक इंतज़ार है।