
श्रीनगर | राष्ट्रीय सुरक्षा ब्यूरो: जम्मू-कश्मीर के हरवान इलाके में भारतीय सेना को बड़ी कामयाबी मिली है। ‘ऑपरेशन महादेव’ के तहत सेना ने पहलगाम आतंकी हमले में शामिल तीनों आतंकियों को ढेर कर दिया है। यह मुठभेड़ श्रीनगर के पास डाचीगाम नेशनल पार्क के नज़दीक हुई।
सेना सूत्रों के अनुसार, खुफिया इनपुट के आधार पर इलाके में कॉम्बिंग ऑपरेशन शुरू किया गया। आतंकियों की घेराबंदी होते ही भारी गोलीबारी शुरू हो गई, जो कई घंटों तक चली। इस मुठभेड़ में तीनों आतंकियों को मार गिराया गया, जिनकी पहचान आदिल हुसैन ठोकर, हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान और अली उर्फ तल्हा भाई के रूप में हुई है।
🔥 22 अप्रैल का खूनी हमला – 26 की मौत, 16 घायल
यह वही आतंकी हैं, जिन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम के बायसरन घाटी में पर्यटकों पर हमला किया था।
धर्म पूछकर की गई निर्मम हत्याएं – हमले में 26 निर्दोष लोगों की मौत हुई थी और 16 गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
घटना के बाद पूरे देश में रोष फैल गया था और आतंकियों के स्केच जारी किए गए थे, जिनमें से दो आतंकियों – मूसा और अली – पाकिस्तान के नागरिक थे। मूसा पाकिस्तान स्पेशल सर्विस ग्रुप (SSG) का पूर्व कमांडो था।
🚨 ऑपरेशन सिंदूर: भारत का जवाब
पहलगाम हमले के ठीक दो हफ्तों बाद भारत ने 6-7 मई की रात 1:05 बजे पाकिस्तान और पीओके में एयर स्ट्राइक की थी, जिसे “ऑपरेशन सिंदूर” नाम दिया गया।
इसमें भारतीय वायुसेना ने 24 मिसाइलों से 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किया।
सूत्रों के मुताबिक, 100 से अधिक आतंकियों का सफाया हुआ, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद चीफ मसूद अजहर के 10 परिजन और 4 शीर्ष सहयोगी भी मारे गए।
🎯 3 मोस्ट वांटेड आतंकी मारे गए, इनामी राशि थी 60 लाख
तीनों मारे गए आतंकियों पर 20-20 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
इनमें से आदिल हुसैन ठोकर अनंतनाग का स्थानीय आतंकी था, जबकि मूसा और अली पाकिस्तानी नागरिक थे और लंबे समय से घाटी में सक्रिय थे।
इनकी तलाश में एनआईए, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सेना संयुक्त अभियान चला रही थी।
🧭 भारत की आतंक के खिलाफ निर्णायक नीति
‘ऑपरेशन महादेव’ और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की स्पष्ट नीति को दर्शाते हैं –
👉 “आतंकवाद का जवाब सीधे कार्रवाई से।”
अब यह स्पष्ट हो चुका है कि भारत अब केवल निंदा नहीं करता, सटीक और सर्जिकल प्रहार करता है।
पहलगाम हमला भले ही इंसानियत पर हमला था, लेकिन उसका बदला सटीक और निर्णायक रूप से लिया गया है।
यह ऑपरेशन भारतीय सेना, खुफिया एजेंसियों और सरकार की एकजुट नीति का प्रमाण है – आतंकियों को न बख्शा जाएगा, न छोड़ा जाएगा।