
देहरादून। उत्तराखंड में प्रशासनिक सेवा से जुड़े पीसीएस अफसरों के लिए वर्ष 2024-25 कई मायनों में अहम साबित हो रहा है। इस बीच खबर है कि वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी श्रीश कुमार को सेवानिवृत्ति से ठीक पहले दोहरा प्रमोशन मिलने की संभावनाएं बन रही हैं। इस घटनाक्रम ने एक बार फिर राज्य में पीसीएस कैडर के भीतर चल रहे आंतरिक गतिरोध और पदोन्नति प्रक्रिया में आ रही अड़चनों को उजागर कर दिया है।
हाल ही में श्रीश कुमार के प्रमोशन को लेकर कार्मिक विभाग में डीपीसी (विभागीय पदोन्नति समिति) की बैठक बुलाई गई थी, लेकिन आवश्यक कागजी औपचारिकताएं पूरी न हो पाने के चलते निर्णय टाल दिया गया। बताया जा रहा है कि आगामी दिनों में नई तिथि निर्धारित कर उन्हें 10,000 ग्रेड-पे पर पदोन्नत किया जा सकता है।
पूर्व जांच बनी थी बाधा, अब मिल सकता है न्याय
श्रीश कुमार का प्रमोशन पूर्व में एक जांच के चलते अटक गया था। हालांकि अब वह बाधा दूर हो गई है, और सेवा से विदाई से पहले उन्हें सम्मानजनक पदोन्नति मिलने की संभावना है। अगर ऐसा होता है तो यह न केवल उनके करियर का सुखद समापन होगा, बल्कि पीसीएस अधिकारियों के लिए भी एक सकारात्मक संकेत हो सकता है।
प्रमोशन में न्यायिक विवाद सबसे बड़ी रुकावट
उत्तराखंड में पीसीएस संवर्ग के अफसरों की पदोन्नति प्रक्रिया लंबे समय से आपसी खींचतान और न्यायालयीन विवादों के कारण प्रभावित रही है। वरिष्ठता को लेकर विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है, जिसके चलते अंतिम वरिष्ठता सूची अब तक तय नहीं हो सकी है। कार्मिक विभाग भी सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने के कारण निर्णय लेने में असहज महसूस कर रहा है।
IAS कैडर में पदोन्नति भी विवादों की भेंट
केवल PCS से उच्च ग्रेड पर प्रमोशन ही नहीं, बल्कि IAS कैडर में प्रमोशन के मामलों में भी अफसरों की आपसी तनातनी और कानूनी लड़ाई बाधा बनती रही है। यही वजह है कि समय-समय पर योग्य अफसर भी अपने हक से वंचित रह जाते हैं।
क्या कहता है प्रशासनिक तंत्र?
प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो राज्य सरकार पीसीएस अफसरों की लंबित पदोन्नति प्रक्रियाओं को लेकर गंभीर है, लेकिन जब तक न्यायालय से हरी झंडी नहीं मिलती, तब तक व्यापक निर्णय लेना कठिन है। हालांकि, विशेष मामलों में जैसे श्रीश कुमार के केस में, व्यक्तिगत स्तर पर राहत देने के प्रयास किए जा रहे हैं।
श्रीश कुमार को दोहरा प्रमोशन मिलना उनके करियर का सार्थक समापन हो सकता है, लेकिन यह प्रकरण उत्तराखंड की प्रशासनिक व्यवस्था में पीसीएस कैडर को लेकर लंबे समय से चल रही अस्थिरता और विवादों की भी एक झलक पेश करता है। यदि सरकार और न्यायपालिका समय रहते समाधान निकालते हैं, तो यह न केवल अधिकारियों के मनोबल को बढ़ाएगा, बल्कि शासन प्रणाली को भी अधिक प्रभावशाली बनाएगा।