
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि लड़कों को छोटी उम्र से ही लैंगिक समानता के बारे में शिक्षित करने की जरूरत है और उनकी मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत है। अदालत ने यह टिप्पणी बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले पर सुनवाई के दौरान की। अदालत ने बदलापुर के एक स्कूल में दो लड़कियों के कथित यौन उत्पीड़न का स्वत: संज्ञान लिया था। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ ने कहा कि समाज में पुरुष वर्चस्व और अंधराष्ट्रवाद जारी है और लड़कों को कम उम्र से ही सही और गलत व्यवहार के बारे में सिखाने की जरूरत है।
न्यायालय ने इस मुद्दे का अध्ययन करने और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए स्कूलों में पालन किए जाने वाले नियमों और दिशानिर्देशों की सिफारिश करने के लिए एक समिति गठित करने का सुझाव दिया। अदालत ने एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश, एक सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी, एक सेवानिवृत्त प्रिंसिपल, एक महिला आईपीएस अधिकारी और बाल कल्याण समिति के एक सदस्य की एक समिति गठित करने का सुझाव दिया। यह समिति इस मुद्दे का अध्ययन कर सकती है और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए स्कूलों में पालन किए जाने वाले नियमों एवं दिशानिर्देशों की सिफारिश कर सकती है।