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छात्र आत्महत्याओं पर सख्त सुप्रीम कोर्ट: सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए गाइडलाइंस जारी, CBI को दी आत्महत्या की जांच

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नई दिल्ली: देशभर में छात्रों की आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाओं पर गंभीर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक आदेश जारी किया। कोर्ट ने सभी शैक्षणिक संस्थानों — स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, कोचिंग सेंटर, छात्रावास व प्रशिक्षण अकादमियों — के लिए व्यापक मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षा उपायों को अनिवार्य बनाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही विशाखापत्तनम में एक नीट छात्रा की आत्महत्या के मामले की जांच अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) करेगी।

दो जजों की पीठ — जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता — ने मामले की सुनवाई करते हुए इसे “प्रणालीगत विफलता” करार दिया और कहा कि यह अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे देश के शिक्षा तंत्र की गंभीर खामी का प्रतिबिंब है।

गाइडलाइंस की मुख्य बातें:

  • मानसिक स्वास्थ्य नीति अनिवार्य: सभी संस्थान UMMEED, ‘मनोदर्पण’ और राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम नीति के अनुरूप मानसिक स्वास्थ्य नीति लागू करेंगे, जिसे सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाएगा और सालाना अपडेट करना अनिवार्य होगा।
  • मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर की नियुक्ति: 100 से अधिक छात्रों वाले सभी संस्थानों में कम से कम एक लाइसेंस प्राप्त मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ (काउंसलर/साइकोलॉजिस्ट) अनिवार्य होंगे। छोटे संस्थानों को पंजीकृत विशेषज्ञों से रेफरल संपर्क बनाना होगा।
  • परीक्षा और संक्रमण काल में अतिरिक्त परामर्श: छात्रों के छोटे समूहों को विशेष रूप से तनावपूर्ण अवधियों जैसे परीक्षा या प्रवेश काल में परामर्श सेवाएं दी जाएंगी।
  • कोचिंग संस्थानों पर निगरानी: कोर्ट ने कोचिंग सेंटर्स को ग्रेडिंग, सार्वजनिक रूप से फटकारने या अवास्तविक लक्ष्य देने जैसे मानसिक दबाव बढ़ाने वाले तरीकों से परहेज की हिदायत दी।
  • हेल्पलाइन और प्रशिक्षण: टेली-मानस जैसी मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के हेल्पलाइन नंबर स्पष्ट रूप से सार्वजनिक स्थानों पर प्रदर्शित किए जाएंगे। शिक्षण और गैर-शिक्षण स्टाफ को साल में दो बार मानसिक स्वास्थ्य संबंधी ट्रेनिंग दी जाएगी।
  • संवेदनशीलता प्रशिक्षण: संस्थानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कर्मचारी कमजोर समुदायों — SC, ST, OBC, LGBTQ+, दिव्यांग, आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों — के प्रति संवेदनशील रहें।
  • गोपनीय शिकायत प्रणाली: सभी संस्थानों को यौन उत्पीड़न, रैगिंग और भेदभाव की शिकायतों के लिए सुरक्षित व गोपनीय शिकायत निवारण तंत्र विकसित करना होगा।

NEET छात्रा की आत्महत्या की जांच अब CBI के हवाले

यह आदेश विशाखापत्तनम स्थित आकाश-बायजूस संस्थान की एक 17 वर्षीय NEET छात्रा की आत्महत्या से जुड़े मामले के संदर्भ में आया है। छात्रा 14 जुलाई 2023 को छात्रावास में मृत पाई गई थी। पीड़िता के पिता द्वारा स्थानीय पुलिस जांच से असंतुष्ट होकर CBI जांच की मांग की गई थी, जिसे आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलटते हुए अब CBI को जांच सौंपी है

संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में संविधान के अनुच्छेद 32 और 141 के तहत प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए स्पष्ट किया कि यह निर्देश तब तक लागू रहेंगे जब तक संसद या राज्य विधानसभाएं उपयुक्त कानून नहीं बना देतीं।

न्यायपालिका का हस्तक्षेप जरूरी

कोर्ट ने NCRB (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि छात्रों की आत्महत्याओं में खतरनाक बढ़ोतरी हो रही है। यह मानसिक संकट, कलंक और संस्थागत असंवेदनशीलता का नतीजा है, जिससे निपटने के लिए अब न्यायपालिका का हस्तक्षेप अपरिहार्य हो गया है।

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