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उत्तर प्रदेशफीचर्ड

UP में अवैध धर्मांतरण के पीछे विदेशी फंडिंग, जाकिर नाईक से जुड़े तार: सूत्र

लखनऊ, 23 जुलाई। उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण को लेकर एक बार फिर बड़ा खुलासा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, इस पूरे नेटवर्क को विदेशी फंडिंग के जरिए संचालित किया जा रहा है और इसके तार भगोड़े इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाईक से जुड़े होने के संकेत मिले हैं। केंद्रीय एजेंसियां इस दिशा में विस्तृत जांच की तैयारी कर रही हैं।


🔍 क्या है मामला?

  • यूपी के बलरामपुर जिले में अवैध धर्मांतरण रैकेट का संचालन कर रहे जमालुद्दीन उर्फ छांगुर को कई विदेशी इस्लामिक संस्थाओं से आर्थिक मदद मिल रही थी।
  • फरवरी 2025 में आयकर विभाग ने नेपाल सीमा पर छापेमारी की थी, जहां मस्जिद, मदरसे और मजारों के निर्माण के लिए संदिग्ध फंडिंग के पुख्ता सबूत मिले थे।
  • फंडिंग का स्रोत दक्षिण भारत के कुछ राज्य, साथ ही यूएई, तुर्किए, दुबई, कनाडा, अमेरिका और यूके की इस्लामिक संस्थाएं बताई जा रही हैं।

🧭 सीमावर्ती जिलों पर फोकस

जांच में खुलासा हुआ है कि यह नेटवर्क नेपाल सीमा से लगे जिलों पर विशेष रूप से केंद्रित है। यहां धार्मिक जनसांख्यिकीय बदलाव के प्रयास भी सामने आए हैं।
सूत्र बताते हैं कि जाकिर नाईक की संलिप्तता से जुड़े कई डिजिटल और वित्तीय साक्ष्य मिले हैं, जिन्हें ईडी, आयकर विभाग और केंद्रीय एजेंसियां वेरीफाई कर रही हैं।


👤 जाकिर नाईक कौन है?

  • जन्म: 18 अक्टूबर 1965, मुंबई
  • पृष्ठभूमि: एमबीबीएस डॉक्टर से इस्लामी उपदेशक बने
  • संस्थाएं: इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF) और पीस टीवी नेटवर्क के संस्थापक
  • विवाद: भड़काऊ भाषणों और अन्य धर्मों के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणियों के कारण विवादों में
  • स्थिति: 2016 से मलेशिया में स्थायी निवास; भारत द्वारा प्रत्यर्पण की मांग लंबित
  • प्रतिबंध: भारत में IRF और पीस टीवी दोनों पर बैन

⚖️ आगे क्या?

सूत्रों के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय (ED) इस मामले में जल्द ही मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) के तहत विस्तृत जांच शुरू कर सकता है। संभावित रूप से बड़ी गिरफ्तारियां और नेटवर्क के विदेशी कनेक्शन को लेकर बड़े खुलासे हो सकते हैं।

यह मामला न केवल धार्मिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमावर्ती जिलों में जनसंख्या असंतुलन के मुद्दे को भी रेखांकित करता है। अब देखना होगा कि जांच एजेंसियां किन निष्कर्षों तक पहुंचती हैं।

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